महिला प्रत्याशी के चुनाव मैदान में होने से बागेश्वर उप चुनाव मे बढ़ेगा महिला वोटों का अंतर

                                                                             त्रिलोक चन्द्र भट्ट
बागेश्वर। जैसे-जैसे बागेश्वर उपचुनाव के मतदान की तारीख नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे यहां का चुनावी माहौल भी गर्मा रहा है। प्रदेश की राजनीति के अनेक दिग्गज कई दिन से यहां डेरा डाल कर मतदाताओं को अपने-पक्ष में लुभाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आम तौर पर अपनी अपनी पार्टी के समर्थन में मुखर रहने वाला मतदाता पहले की अपेक्षा शांत है। जिससे राजनीतिक बाजी पलटने की घोषणा करने वाले महापंडितों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं।
                                              विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन करने के बाद उत्तराखण्ड क्रांति दल, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी, समाजवादी पार्टी आदि अपनी प्रभावशाली भूमिका बनाने के लिए लगातार मशक्कत कर रही हैं जबकि कांग्रेस स्वयं को मुख्य मुकाबले में मान कर चल रही है। वह अभी से अपनी जीत का दावा भी कर रही है। जबकि भारतीय जनता पार्टी इसे अपनी परंपरागत सीट मानकर जीत के प्रति आशवस्त है। कांग्रेस का तर्क है कि 2022 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत दास को भाजपा के चंदन रामदास को मिले 32,211 वोट के मुकाबले दूसरे नम्बर पर रहते हुये 20,070 मिले थे। जबकि आम आदर्मी पार्टी के प्रत्याशी वसंत कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे। चूंकि आप के बसंत कुमार अब कांग्रेस के हैं इसीलिए काग्रेस के कई नेता आप के वोट बैंक को भी कांग्रेस का बड़ा वोट मान कर अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं।
                                               भाजपा नेता और पूर्व कबीनेट मंत्री चंदनराम दास भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनके कार्य और व्यवहार सेे जनता जिस तरह उनके नजदीक रही है। उसका लाभ भाजपा से चुनाव मैदान में उतरी उनकी पत्नी पार्वती दास को मिलना तय है।
इसमें सहानुभूति भी एक बड़ा फैक्टर है। इसको अगर दूसरे रूप में देखें तो भाजपा द्वारा महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारना महिलाओं के वोटों में अंतर भी बढ़ा सकता है। जिसका सीधा लाभ भाजपा के खाते में ही जायेगा।  बागेश्वर, कठायतबाड़ा, आरे, कलना, पंत क्वैराली, गरूड़, गागरीगोल आदि क्षेत्रों के कुछ मतदाओं से जब बात की गई तो यह बात भी बाहर निकल कर आयी कि भाजपा ने एक महिला को टिकट देकर महिलाओं का सम्मान बढ़ाया है। मतदाना बहुत ज्यादा मुखर नहीं है, खुल कर अपनी बात रखने में हिचक रहा है, लेकिन उसका रूझान साफ तौर पर झलक रहा है। इसके बावजूद भी विभिन्न पार्टियों के दावे-प्रतिदावों के बीच अंतिम क्षणों के क्या होगा? कहना जल्दबाजी होगी।
                                                   इस समय हर पार्टी के लिए आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व बागेश्वर उप चुनाव जीतना काफी महत्वूपर्ण है। कांग्रेस भाजपा को हराकर इतिहास बनाने की कोशिश में हैं तो भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से भी इस चुनाव को भारी अंतर से जीतने का टास्क दिया गया है। सबके अपने-अपने लक्ष्य और उद्देश्य हैं। बहरहाल बागेश्वर विधानसभा सीट पर निष्पक्ष, निर्विघ्न और शांतिपूर्ण चुनाव की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है। शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिये प्रशासन द्वारा बागेश्वर  विधानसभा क्षेत्र को 28 सेक्टर में बांटा गया है। उपचुनाव के लिए यहां 172 मतदान केंद्र और 188 मतदेय स्थल बनाए गए हैं। 1 लाख 18 हजार 225 मतदाताओं में 60,045 पुरुषों के सापेक्ष 58, 180 महिलाएं हैं। जो पांच सितंबर को प्रत्याशियों को भाग्य का फैसला करेंगे।
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