संदीप बिष्ट
कोटद्वार। रक्तदान को यूहीं महा दान नहीं कहा जाता है। युवक ने अपने जन्मदिन पर केक काटने की बजाय बेस हॉस्पिटल, कोटद्वार में स्वैच्छिक रक्तदान कर यह बात साबित कर दी। जबकि आज के भौतिक युग में जहाँ इंसान अपने रोज़ी रोटी कमाने और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भाग दौड़ में लगा रहता है और इन परस्थितियों में उसके पास स्वयं के लिए और अपनों के लिए समय नहीं निकाल पाता है। तो वहीँ समाज में कुछ लोग ऐसे लोग भी है जो दूसरों के जीवन बचाने के लिए तत्पर खड़े रहते है। राष्ट्रीय सेवा योजना गढ़वाल मंडल समन्वयक परितोष कुमार रावत जो पेशे से शिक्षक भी है हमेशा मानव सेवा और पर्यावरण संरक्षण के लिए युवाओं तथा बच्चों को प्रेरित करते रहते है और हमेशा स्वप्रेरित रहते है। विकास नगर कोटद्वार निवासी परितोष कुमार रावत भी मानते है की रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं हो सकता। कहा की यह ऐसा दान है जिससे हम एक रक्तदान से कई जीवनों को बचाते है और इस रक्तदानके लिए हमारा शरीर तीन माह बाद फिर से लिए तैयार हो जाता है।परितोष ने जन्मदिन के अवसर पर 8 वां स्वैच्छिक रक्तदान करने के लिए सुबह ही रक्तपुरष दलजीत सिंह संपर्क कर लिया था। रक्तपुरष दलजीत सिंह ने कहा की ऐसे ही युवा रक्तदाता हमारे आधारशिला स्वैच्छिक रक्तदान ग्रुप के लिए प्रेरणा है। कहा की अभी भी स्वैच्छिक रक्तदान का प्रतिशत बहुत ही काम है जिसके लिए जागरूकता बढ़ाने की अति आवश्यकता है।
हरिद्वार और ऋषिकेश में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर भव्य कारिडोर बनेगा : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह
हरिद्वार में कॉरिडोर को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि हरिद्वार और ऋषिकेश में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर भव्य कारिडोर बनेगा। प्रदेश…