संवाददाता सुरेंद्र पाल सिंह (उत्तरकाशी)
उत्तरकाशी के हिटणू गांव में स्थित श्रीमती मंजीरा देवी शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान में बिजली विभाग की लापरवाही से छोटे बच्चों की जान पर खतरा मंडरा रहा है, यहां 11000 वोल्टेज की लाइन स्कूल के बीचों बीच एकदम पास से गुजर रही है और खंभे भी आधे तिरछे हैं।
इससे किसी भी समय बच्चों को करंट लग सकता है या लाइन टूटकर उन पर गिर सकती है। इस मामले में प्रशासन और बिजली विभाग दोनों की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
श्रीमती मंजीरा देवी शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान में लगभग 800 बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई करते हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे गांव के गरीब परिवारों से आते हैं। श्रीमती मंजीरा देवी शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान के चैयरमैन डॉ. भगवन नौटियाल ने बताया कि वे बिजली विभाग को कई बार लिखित और मौखिक रूप से इस मुद्दे के बारे में सूचित कर चुके हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। वे बोले, ‘हमारे पास इस लाइन को हटाने या सुधारने का कोई अधिकार नहीं है। हम बस बच्चों को सावधान रहने और लाइन से दूर रहने की हिदायत देते हैं।
हम चाहते हैं कि बिजली विभाग इसे जल्द से जल्द ठीक करे और हमारे बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखे। बिजली विभाग के अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। इस तरह की लापरवाही से न केवल बच्चों की जान पर खतरा है, बल्कि यह भी एक कानूनी उल्लंघन है। भारतीय विद्युत अधिनियम, 2003 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति या विभाग को बिना अनुमति के 11000 वोल्ट से अधिक की लाइन को किसी भी सार्वजनिक जगह पर नहीं लगाना चाहिए। इसके उल्लंघन पर दो लाख रुपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की कारावास की सजा हो सकती है। इसके अलावा, यदि किसी को इससे कोई हानि होती है, तो उसका मुआवजा भी देना पड़ सकता है।
इस मुद्दे पर गांव के लोगों ने भी अपनी आवाज उठाई है। नवीन नौटियाल का कहना है कि हमारे बच्चे रोजाना इस खतरे के बीच में पढ़ाई करते हैं। हमें डर लगता है कि कभी न कभी कुछ बुरा न हो जाए। हमने बिजली विभाग को भी इसके बारे में बताया है, लेकिन उन्होंने हमारी बात को नजरअंदाज कर दिया है। हम चाहते हैं कि राज्य सरकार और मीडिया हमारी मदद करे और इसे जल्द से जल्द हल करे।
उत्तरकाशी एडवोकेट सुमन नौटियाल का कहना है कि, उत्तरकाशी के हिटणू में स्थिति श्रीमती मंजीरा देवी शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान में बिजली विभाग की लापरवाही से बच्चों की जान को बचाने के लिए एक तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। इसे नजरअंदाज करना एक बड़ी लापरवाही होगी।
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बिजली विभाग की लापरवाही से बच्चों की जान को खतरा होना एक गंभीर अपराध है। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण का अधिकार है।