अब लोग शहरों से गांवों की ओर जाने लगे

-रंजना मिश्रा
एक समय था जब लोग गांवों से शहरों की ओर भागते थे। नौकरी, शिक्षा और सुविधाओं की तलाश में लोग गांवों को छोड़कर शहर चले जाते थे, लेकिन आजकल यह सिलसिला उल्टा हो गया है। अब लोग शहरों से गांवों की ओर जाने लगे हैं। हालांकि आज भी इसकी तुलना में गांवों से शहरों की ओर पलायन का अनुपात काफी अधिक है।

वैसे तो भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की अधिकांश जनता शहरों की अपेक्षा गांवों में अधिक बसती है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में तीव्र गति से बढ़ते शहरीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। लेकिन हाल के वर्षों में, एक नई प्रवृत्ति उभरी है, जिसे रिवर्स माइग्रेशन के रूप में जाना जाता है। इस प्रवृत्ति में शहरों से लोग अपने मूल गांवों की ओर वापस लौट रहे हैं। रिवर्स माइग्रेशन का अर्थ है कि किसी व्यक्ति या समूह का अपने मूल स्थान पर वापस लौटना। सामान्य शब्दों में, रिवर्स माइग्रेशन से तात्पर्य महानगरों और शहरों से गांवों एवं कस्बों की ओर होने वाले पलायन से है। रिवर्स माइग्रेशन एक नई प्रवृत्ति है, जो भारत सहित कई देशों में देखी जा रही है।

शहर से गांव की ओर पलायन की प्रवृत्ति बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय तथा व्यक्तिगत कारण शामिल हैं। इसका एक आर्थिक कारण यह है कि महानगरों और शहरों में रहने की लागत बढ़ती जा रही है। शहरों में रहने के लिए उच्च किराए, भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे खर्चों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। इसका सामाजिक कारण यह है कि शहरों में रहने के कारण लोगों को अपने परिवार और दोस्तों से दूर रहना पड़ता है, जिससे उन्हें अकेलापन और अलगाव महसूस होता है।

शहरों में जीवन की रफ्तार तेज होने के कारण लोगों को अधिक तनाव में रहना पड़ता है। लोगों को काम, घर और परिवार के लिए कई तरह की जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ता है। इससे लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं। गांवों में जीवन की रफ्तार धीमी होती है और लोग एक-दूसरे के करीब रहते हैं। इससे लोगों को तनाव कम होता है।

इसके अलावा शहरों में प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय समस्याएं अधिक हैं। शहरों में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण लोग स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण की तलाश में गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। शहरों में वाहनों और कारखानों के धुएं और अन्य प्रदूषणकारी पदार्थों से वायु और जल प्रदूषित हो रहा है। इससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है और कई तरह की बीमारियां होती हैं। इसीलिए लोग ऐसी जगहों में जाकर रहना चाहते हैं, जहां प्रदूषण कम हो। गांवों में शहरों की तुलना में प्रदूषण का स्तर कम होता है और वातावरण अधिक शुद्ध होता है। इससे लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। गांवों में जीवन की रफ्तार धीमी होती है।

वहां का वातावरण शांत होता है। इससे लोगों को तनाव कम होता है। गांवों में लोग एक-दूसरे के करीब रहते हैं। वे एक-दूसरे की मदद करते हैं। इससे लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलती है। शहरों में वाहनों के शोरगुल और भीड़भाड़ से भी लोग परेशान हो रहे हैं। कुछ लोग अपने शहरी जीवन से ऊब चुके हैं। वे अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं और एक सरल और शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। गांवों में प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है। इससे लोगों को शांति और आनंद मिलता है। पहले गांवों में सुविधाओं का अभाव था।

लेकिन आजकल गांवों में भी कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे कि बिजली, पानी, सड़कें, स्कूल, अस्पताल आदि। इससे लोग गांवों में रहने के लिए आकर्षित होते हैं। गांवों में रहने के कई लाभ हैं। कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाओं के कारण भी लोग गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। गांवों में कृषि भूमि अपेक्षाकृत सस्ती होती है, जिससे व्यावसायिक कृषि करना आसान हो जाता है। इसके अलावा, सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन भी प्रदान किए जा रहे हैं, जो किसानों को आकर्षित कर रहे हैं।

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना होने से लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। साथ ही पशुपालन, मत्स्य पालन, पर्यटन आदि क्षेत्रों में भी बेहतर अवसर उपलब्ध होने की वजह से लोग शहरों से वापस गांवों की ओर लौट रहे हैं।

भारत में रिवर्स माइग्रेशन एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति है। 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण कई प्रवासी श्रमिकों को अपने मूल स्थान पर वापस लौटना पड़ा। कोरोना महामारी के बाद लोगों में ऐसी जगहों पर जाकर रहने का ट्रेंड देखने को मिला है, जहां का वातावरण शुद्ध है और यह सब वर्क फ्रॉम होम जैसे विकल्पों की उपलब्धता के कारण संभव हो सका।

वायु प्रदूषण की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में पलायन के उदाहरण देखने को मिले हैं। यही कारण है कि समाज के अमीर वर्ग के लोग भी अब गांवों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे गांवों में जमीन खरीद रहे हैं, फार्म हाउस बनवा रहे हैं और खेती कर रहे हैं। वैसे तो शहरों जैसी सुविधाएं गांवों में उपलब्ध नहीं होतीं, लेकिन आजकल लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सचेत हो रहे हैं। ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों और मोटे अनाजों का चलन फिर बढ़ रहा है।

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