रिखणीखाल क्षेत्र में बाघ के दहशत से घरों में कैद रहने को मजबूर हुए ग्रामीण
संदीप बिष्ट
कोटद्वार। प्रखण्ड रिखणीखाल के रथुवाढ़ाब से लेकर , काण्डानाला -खदरासी तक के गांवों में बाघ की दहशत से ग्रामीण घरों में कैद रहने को मजबूर हो गए है। बाघ के लगातार इंसानो पर हो रहे हमले ने पुरे रिखणीखाल क्षेत्र के ग्रामीणों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है जिससे ग्रामीण सायं छ: बजे के बाद घरों से बहार नहीं निकल पा रहे है। अभी कुछ ही दिन पूर्व रथुवाढ़ाब से सौ मीटर दूरी पर झर्त निवासी विशम्बरी देवी और तीन माह पूर्व बीरेंद्र सिंह डल्ला निवासी को बाघ ने निवाला बना दिया था। स्थानीय लोगों का कहना है रथुवाढाब से कालिंको के बीच विगत दो वर्षों से निरंतर बाघ की आवाजाही देखी जा रही है। जिसकी जानकारी लगातार विभाग को दी जा रही है। वहीँ ज्वालाचौड़ निवासी रामी देवी ने बताया की बीती रात कुत्ते को पकड़ने के लिए बाघ आंगन में आ धमका ओर गुरहाने लगा , उन्होंने अकेले साहस करते हुए शोर मचाया तो बड़ी मुश्किल से बाघ वहां से भाग खड़ा हुआ। तो वहीँ कुछ दूरी पर निवासरत चार परिवारों को रात को शौच तक की समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसा ही हाल कुमाल्डी,ढुंग्याचौड़,पार्ताचौड,कालिंको,गजरोड़ा,तूणीचौड़ तथा तैड़िया गांव में जीवन व्यापन कर रहे परिजनों का भी है जो सायं पांच बजे तक अपना खाना बनाकर दुबक कर अन्दर रहने को मजबूर हैं। क्षेत्र में आवागमन के लिए पैदल मार्ग का सुगम न होना तथा पेयजल स्रोत का झाड़ियों से पटे रहने से खतरा ओर अधिक बना हुआ है। क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया बिनीता ध्यानी का कहना है कि वन्य ग्राम तैड़िया पाण्ड गांवों के बाद अब वनविभाग एवं सरकारी महकमा क्षेत्र को बर्बाद करने पर तुले है। कहा की क्षेत्र हित में वन कानून में संशोधन की अति आवश्यकता है जिसे लेकर लेकर क्षेत्रीय विधायक के माध्यम से वन मंत्री व मुख्यमंत्री उत्तराखंड को पत्र प्रेषित भी किया है।