uttarkashi news नागणी देवी मंदिर में पंचकोसी वारुणी यात्रा श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम

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संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह (उत्तरकाशी)

उत्तरकाशी धनारी पंचकोसी वारुणी यात्रा के शुभ अवसर पर, बालखिला पर्वत के नांगणी ठांग में एक विशेष धार्मिक समारोह हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। संकर्णो धार से लेकर बालखिला पर्वत तक, फोल्ड, चकोन और बगसारी गांव के ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं के लिए जलपान की व्यवस्था की।

स्थानीय निवासी राजेंद्र सिंह गंगाडी ने बताया कि बालखिला पर्वत पर स्थित नागणी देवी मंदिर का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। यहां मां नागणी के दर्शन से मनुष्य को सात जन्मों के पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी कारण इस दिन यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। बालखिला पर्वत तक पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय से लम्बगांव रोड़ संकूर्णाधार के 15 किलोमीटर तक वाहन से और फिर चार से पांच किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है।

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बगसारी गांव के पास समुद्रतल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का उल्लेख स्कंदपुराण में भी मिलता है। महर्षि बालखिल्य ने इसी स्थान पर तपस्या कर भगवान शिव की आराधना की थी, जिन्होंने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिए थे। इसी कारण यह पर्वत बालखिला पर्वत के नाम से प्रसिद्ध है।

 

इस अनुपम धार्मिक यात्रा के दौरान, श्रद्धालुओं ने न केवल देवी नागणी के दर्शन किए, बल्कि इस पवित्र यात्रा के माध्यम से आपसी सौहार्द और समुदाय की एकता का भी अनुभव किया। यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संजोए रखने का एक माध्यम भी है।

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इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने नागणी देवी के चरणों में अपनी आस्था और भक्ति अर्पित की। यहां के वातावरण में भक्ति और श्रद्धा की एक अलग ही ऊर्जा महसूस की गई। यात्रा के दौरान, ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं के लिए न केवल जलपान की व्यवस्था की, बल्कि उनके स्वागत और सहायता के लिए भी तत्पर रहे।

इस यात्रा के सफल आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों के प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने सुनिश्चित किया कि यात्रा के दौरान सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाए और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। इस तरह के आयोजन से न केवल धार्मिक आस्था मजबूत होती है, बल्कि समुदाय के बीच एकजुटता और सहयोग की भावना भी बढ़ती है।

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इस धार्मिक यात्रा के समापन पर, श्रद्धालुओं ने देवी नागणी के प्रति अपनी भक्ति और आस्था का प्रदर्शन किया और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की। यह यात्रा न केवल उनके लिए एक आध्यात्मिक अनुभव थी, बल्कि यह उनके लिए आत्म-अन्वेषण और आत्म-सुधार का भी एक अवसर था। इस तरह की यात्राएं हमें यह याद दिलाती हैं कि धर्म और आस्था के माध्यम से हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

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राजेंद्र सिंह गांगड़ी, जो इस यात्रा के दौरान एक प्रमुख स्थानीय व्यक्तित्व के रूप में उभरे, ने बालखिला पर्वत और नागणी देवी मंदिर के धार्मिक महत्व को रेखांकित किया। उनके अनुसार, मां नागणी के दर्शन से मनुष्य सात जन्मों के पापों से मुक्त होकर पुण्य की प्राप्ति करता है, जो इस यात्रा के आकर्षण का मुख्य कारण है। उन्होंने इस यात्रा के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि श्रद्धालुओं को आवश्यक सुविधाएं और सहायता प्राप्त हो।

गांगड़ी की इस पहल ने न केवल यात्रा को सुगम बनाया, बल्कि इसने स्थानीय समुदाय को भी एकजुट किया। उनकी देखरेख में, ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं के लिए जलपान की व्यवस्था की और उनके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस प्रकार, राजेंद्र सिंह गांगड़ी ने इस यात्रा को एक सफल और स्मरणीय अनुभव बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।

इस अवसर पर विश्वनाथ राणा, पूर्व क्षेत्र पंचायत फोल्ड अतर सिंह राणा, अवतार नेगी, विजय राणा, विनोद राणा, गोपाल राणा, नरेंद्र राणा, खुशपाल रमोला सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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