uttarkashi news नागवंशी राजाओं की राजधानी बाड़ाहाट उत्तरकाशी का इतिहास

संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह

उत्तरकाशी: बाड़ाहाट, जो वर्तमान में उत्तरकाशी के नाम से जाना जाता है, उत्तराखंड के पौराणिक नगरों में शुमार है। यह नगर कभी नागवंशी राजाओं की राजधानी रहा है। इससे जुड़े कई पुरातात्विक प्रमाण भी उपलब्ध हैं। महापंडित राहुल सांकृत्यायन और ईटी एटकिंसन ने अपनी पुस्तकों में बाड़ाहाट को नागवंशी राजाओं की राजधानी बताया है।

बाड़ाहाट की पौराणिकता प्रमाणित करने वाला शक्ति स्तंभ, चमाला की चौरी, दत्तात्रेय मंदिर जैसे कई स्थल आज भी यहां मौजूद हैं। इतिहासकार डा. शिव प्रसाद डबराल की पुस्तक ‘उत्तराखंड का इतिहास भाग- तीन’ में बाड़ाहाट के शक्ति त्रिशूल का उल्लेख है। त्रिशूल में ब्राह्मी लिपि में नागवंशी राजा गणेश्वर और उनके पुत्र गुह के बारे में कुछ लिखा हुआ है।

 

बाड़ाहाट का थौलू (माघ मेला) पर शोध करने वाले अमेरिका के नार्थ कैरोलिना स्थित एलोन यूनिवर्सिटी में धार्मिक इतिहास विभाग के सीनियर प्रोफेसर ब्राइन के. पेनिंग्टन ने बताया कि पुराने प्रमाणों में बाड़ाहाट नाम का उल्लेख है। उत्तरकाशी नाम का प्रचलन 1860 से 1870 ईस्वी के बीच शुरू हुआ।

uttarkashi

राहुल सांकृत्यायन ने ‘हिमालय परिचय’ में इस शक्ति स्तंभ और दत्तात्रेय मंदिर को लेकर विस्तृत जानकारी दी है। त्रिशूल पर नेपाल के मल्लवंश के अशोकचल और कांसदेवचल का लेख भी अंकित है। गढ़वाल हिमालय का गजेटियर में एचजी वाल्टन लिखते हैं कि इस त्रिशूल को मल्लवंश के एक राजा ने स्थापित करवाया था।

यह भी पढ़ें:uttarkashi news उत्तरकाशी जसपुर नीराकोट सड़क कटिंग से सिल्याण गांव में बढ़ते भू-धसाव का खतरा

यहां पाए गए शक्ति स्तंभ, चमाला की चौरी, और दत्तात्रेय मंदिर ने इस नगर की पौराणिकता को प्रमाणित किया है। इन स्थलों का अध्ययन करने से हमें नागवंशी राजाओं के समय की जीवन शैली, संस्कृति, और धार्मिक प्रथाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है कि बाड़ाहाट के शक्ति त्रिशूल पर अंकित ब्राह्मी लिपि में नागवंशी राजा गणेश्वर और उनके पुत्र गुह के बारे में लिखा हुआ है। यह लेख इस बात का प्रमाण देता है कि नागवंशी राजाओं ने इस क्षेत्र में अपना शासन स्थापित किया था। इसके अलावा, त्रिशूल पर नेपाल के मल्लवंश के अशोकचल और कांसदेवचल का लेख भी अंकित है, जो इस बात की संभावना को बढ़ाता है कि इस क्षेत्र में विभिन्न वंशों के राजाओं के बीच संपर्क रहा होगा।

 

इतिहासकार डा. शिव प्रसाद डबराल और राहुल सांकृत्यायन ने अपनी पुस्तकों में बाड़ाहाट के इतिहास का विस्तृत विवरण दिया है। उनके अनुसार, बाड़ाहाट का नाम 1860 से 1870 ईस्वी के बीच उत्तरकाशी में बदल दिया गया था। इसके बावजूद, बाड़ाहाट का नाम आज भी इस क्षेत्र के लोगों के बीच जीवित है, और वे इसे अपने पौराणिक इतिहास का हिस्सा मानते हैं।

  • Related Posts

    कैबिनेट ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट प्रस्तावों पर दी मंजूरी

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान लगभग 33 प्रस्तावों पर सहमति बनी है। इस बैठक के दौरान बजट प्रस्तावों और…

    बीडीओ बहादराबाद एवं डीपीएम ग्रामोत्थान के द्वारा Ayooh नेचुरल ऑर्गेनाइजेशन का भ्रमण सम्पन्न

    हरिद्वार,  मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) श्रीमती आकांक्षा कोण्डे महोदया के निर्देशों के क्रम में, आज दिनांक 6 फरवरी 2025 को जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम) श्री संजय सक्सेना – ग्रामोत्थान परियोजना…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *