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uttarkashi news उत्तरकाशी जसपुर नीराकोट सड़क कटिंग से सिल्याण गांव में बढ़ते भू-धसाव का खतरा

संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह (उत्तरकाशी)

उत्तरकाशी: जसपुर नीराकोट सड़क कटिंग के कारण सिल्याण गांव में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। ग्राम प्रधान जितेंद्र गुसाई के अनुसार, गांव के नीचे कई दिनों से हल्का भूस्खलन हो रहा था, जिसने आज सुबह एक बड़ा रूप ले लिया। सुबह चार बजे भूस्खलन के कारण दो बड़े चीड़ के पेड़ गिर गए, जिससे गांव के मकानों में चौड़ी दरारें आ गईं। इससे ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है और बरसात के दौरान इससे बड़ी आपदा का खतरा बन सकता है।

 

ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग भटवाड़ी के अधिकारियों को इस घटना की सूचना दी, लेकिन कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारियों से मांग की थी कि सड़क कटिंग के साथ सुरक्षात्मक कार्य भी किए जाएं, लेकिन विभाग ने इसे अनदेखा किया। अब ग्रामीणों के भवनों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है और उन्होंने विभाग से सुरक्षात्मक कार्य करने की मांग की है।

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अधिशासी अभियंता, नीरज अग्रवाल के अनुसार, सड़क कटिंग के कारण पहाड़ी का मलबा नीचे आ रहा है और विभाग के जेई साइट पर तैनात रहते हैं। अगर भवनों में दरारें आई हैं तो उसके निरीक्षण के लिए एई और जेई को निर्देशित किया गया है। इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और आगे किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

 

इस तरह की समस्याएं न केवल स्थानीय समुदाय के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि विकास के नाम पर पर्यावरणीय और सामाजिक संतुलन को किस प्रकार से नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसे में, यह आवश्यक है कि विकास कार्यों के दौरान स्थानीय परिस्थितियों और पर्यावरणीय संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए।

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इस समस्या के निवारण के लिए ग्रामीणों ने कई बार आवाज उठाई है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और विभागीय अधिकारियों से अपील की है कि वे इस गंभीर समस्या का समाधान ढूंढें और आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय करें। ग्रामीणों का मानना है कि यदि समय रहते उचित कदम उठाए जाएं, तो भू-धसाव की समस्या से निजात पाई जा सकती है और उनके जीवन को बचाया जा सकता है।

 

इसके अलावा, ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि सड़क निर्माण के दौरान पर्यावरणीय मानकों का ध्यान रखा जाए और भू-धसाव रोकने के लिए तकनीकी और वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों को इस तरह के प्रोजेक्ट्स में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए और गुणवत्ता के मानकों को सुनिश्चित करना चाहिए।

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अंत में, ग्रामीणों की यह उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और उनके गांव की सुरक्षा और स्थिरता के लिए जल्द ही कदम उठाए जाएंगे। वे चाहते हैं कि उनके गांव को आने वाले समय में इस तरह की आपदाओं से बचाया जा सके और एक सुरक्षित और स्थायी विकास की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।

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