uttarkashi news उत्तरकाशी में स्वरोजगार की नई उड़ान अजय प्रकाश बडोला की पहल से गायत्री स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर
संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह (उत्तरकाशी)
उत्तरकाशी: लोकल से वोकल को बढावा देने के लिए जनपद मे अजय प्रकाश बडोला द्वारा स्थानीय स्वरोजगार को बढ़ावा देने की अनूठी पहल की गई है। गायत्री परिजन प्रबंधक के रूप में, बडोला ने पवित्रा लीला बाल वाटिका के माध्यम से विगत तीन वर्षों से स्वरोजगार के विभिन्न अवसरों को साकार किया है।
इस वर्ष, उन्होंने 150 किलो से अधिक अरसा बनाकर, गायत्री स्वयं सहायता समूह की बहनों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गोबर से दीपक और धूपबत्ती बनाने का यह कार्य न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इस पहल के अंतर्गत, अजय बडोला और उनकी टीम ने गोबर से बने उत्पादों को बाजार में लाने के लिए विभिन्न रणनीतियों का अनुसरण किया है। इन उत्पादों की मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और स्थानीय मेलों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, गायत्री स्वयं सहायता समूह ने ग्रामीण महिलाओं को इन उत्पादों के निर्माण में प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं।
इस प्रकार की पहल से न केवल आर्थिक स्थिरता में वृद्धि होती है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित करती है। अजय बडोला की यह पहल उत्तरकाशी जनपद के लिए एक उदाहरण बन गई है और अन्य जनपदों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। इस तरह के उद्यमों के माध्यम से उत्तरकाशी के लोगों को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने में मदद मिल रही है।
अजय प्रकाश बडोला जी का कहना है कि लोकल से वोकल में कॉलिंका स्वयं सहायता समूह द्वारा भी अरसा और गुजिया के उत्पादन से एक नई आशा की किरण जगी है। बडोला के अनुसार, इस वर्ष अरसा की मांग में स्थिरता रही है और अब धार्मिक पर्वों पर चोलाई लड्डू भी बनाए जाएंगे। समूह की महिलाएं अर्चना, मुरारी, गीता, और खुशी बडोला का कहना है कि इस कार्य से न केवल आत्मविश्वास में वृद्धि महसूस कर रही हैं, बल्कि एक छोटे रोजगार के अवसर का भी सृजन वह कर रही हैं।
यदि सरकार इन महिलाओं को उचित बाजार उपलब्ध कराने में सहायता करे, तो भविष्य में उत्तरकाशी में एक बड़े स्वरोजगार की संभावना है। इन महिलाओं ने अजय प्रकाश बडोला का आभार व्यक्त किया है और एक नई राह की ओर देख रही हैं।
इस समूह की सफलता ने अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है और यह दर्शाता है कि सामुदायिक प्रयासों से कैसे स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास संभव है। इन महिलाओं की कड़ी मेहनत और उद्यमिता ने उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उनके परिवारों और समुदाय के लिए भी एक उदाहरण स्थापित किया है।
इस पहल के जरिए, उत्तरकाशी की महिलाएं अपने पारंपरिक व्यंजनों को बाजार में लाकर न केवल स्थानीय संस्कृति को संरक्षित कर रही हैं, बल्कि उसे एक नई पहचान भी दे रही हैं। इस तरह के प्रयास से नई पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जुड़े रहने और उन्हें महत्व देने की प्रेरणा मिलती है।
अजय प्रकाश बडोला और इस समूह की महिलाओं की यह यात्रा उत्तरकाशी के लिए एक नई दिशा और आशा का संचार करती है। इस प्रकार की पहल से अन्य समुदायों को भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का मार्गदर्शन मिलता है।