uttarkashi news 1994 मुजफ्फरनगर रामपुर तिरहा काण्ड आजीवन कारावास के फैसले पर उत्तरकाशी आंदोलनकारियों की प्रतिक्रिया

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संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह (उत्तरकाशी)

उत्तरकाशी के राज्य निर्माण आंदोलनकारियों ने, डॉ. विजेन्द्र सिंह पोखरियाल के नेतृत्व में, 1994 के मुजफ्फरनगर रामपुर तिरहा काण्ड के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। 28 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद मिली इस जीत पर उन्होंने खुशी जाहिर की है, लेकिन साथ ही यह भी व्यक्त किया है कि उन्हें फांसी की सजा की अपेक्षा थी। उनका मानना है कि इस फैसले से शहीदों और पीड़ितों को पूर्ण न्याय नहीं मिला है।

डॉ. पोखरियाल ने न्याय पालिका और सरकार पर अभी भी पूर्ण विश्वास व्यक्त किया है कि दोषियों को उचित सजा मिलेगी। उन्होंने और अन्य आंदोलनकारियों ने इस दौरान उठाई गई आवाज और दिए गए बलिदान को याद करते हुए फांसी की सजा की मांग की है। इस प्रेस वार्ता में उपस्थित अन्य आंदोलनकारियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और न्यायलय के फैसले का स्वागत किया।

 

राष्ट्रीय हिंदू संघ के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह का कहना है कि इस घटना के दौरान अनेक निर्दोष लोगों की जानें गईं और महिलाओं के साथ अत्याचार हुए। इस तरह के अपराधों के लिए दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी। उन्होंने न्याय पालिका और सरकार से अपील की है कि इस मामले में और अधिक सख्त कार्रवाई की जाए।

 

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वही चिन्हित आंदोलनकारी सचिव खुशपाल सिंह परमार का कहना है कि इस फैसले के बाद भी आरोपियों के पास उच्च न्यायालयों में अपील करने का अवसर है, जिससे यह मामला और लंबा खिंच सकता है। उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उनकी मांग है कि दोषियों को उचित सजा मिले ताकि शहीदों और पीड़ितों को सच्चा न्याय मिल सके।

 

इस दौरान प्रेस वार्ता में शामिल चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी संयुक्त समिति के केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ विजेन्द्र सिंह पोखरियाल, राष्ट्रीय हिंदू संघ के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह, चिन्हित आंदोलनकारी जिला संरक्षक चतर सिंह राणा, जिला कार्यकारी अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद पैन्यूली, महासचिव लाखीराम नौटियाल, मोहनानंद विजल्वाण, उपाध्यक्ष जगदीश प्रसाद भट्ट, सचिव खुशपाल सिंह परमार, जेठु लाल भारती, तेग सिंह राणा, सुशीला असवाल, चन्द्र कान्त सेमवाल, खुशहाल सिंह बिष्ट, धर्म सिंह मेहर, आदि उपस्थित रहे।

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