उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को मान्यता देने पर विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल का जश्न
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को मान्यता देने पर विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल का जश्न
संवाददाता सुरेंद्र पाल सिंह (उत्तरकाशी)
उत्तरकाशी
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के ड्राफ्ट को मान्यता देने के बाद विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आज बाजार उत्तरकाशी में हनुमान चालीसा का पाठ करके अपनी खुशी जाहिर की। विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री अजय बडोला ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के माननीय मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक कार्य किया है और भारत में एक नयी शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट से देश को नयी उर्जा मिली है और सभी वर्गों ने इसे स्वीकार किया है।
इस घटना के साक्षी और संबंधित लोगों ने भी अपने विचार और भावनाएं व्यक्त की। सुपेनदर पवार ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है और उन्हें इसका गौरव है। रमेश शाह ने कहा कि यह एक बड़ा कदम है और हम सबको इसका समर्थन करना चाहिए। मिकी चंदोक
ने कहा कि यह एक नया अध्याय है और हम सब को इसका अनुसरण करना चाहिए। महेश पड़ियार ने कहा कि यह एक नया आदर्श दिन है और हम सबको इसका अनुसरण करना चाहिए। मान सिंह गुसाईं ने कहा कि यह एक नया संदेश है और उन्हें इसका प्रचार करना चाहिए। विपिन सुशील, प्रदीप पवार और अभिषेक नेगी ने भी इस घटना को सराहा और इसका अभिनन्दन किया।
उत्तरकाशी
यूसीसी का ड्राफ्ट बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट 6 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने विधानसभा में यूसीसी बिल पेश किया था, जो आज पारित हो गया है। इससे पहले, उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग सिविल कानून थे, जो विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेना और संपत्ति के अधिकार से संबंधित मामलों में लागू होते थे। अब, उत्तराखंड में सभी नागरिकों पर एक ही कानून लागू होगा, जो किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होगा।
यूसीसी का विचार भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 का ही एक अंग है, जो निर्देशित करता है कि राज्य अपने नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता बनाएगा, जो धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी को भेदभाव नहीं करेगा। इसका उद्देश्य भारत के सभी नागरिकों को एक समान अधिकार और न्याय प्रदान करना है। यूसीसी का प्रस्ताव पहले भी कई बार उठाया गया है, लेकिन इसे विभिन्न विरोधों और विवादों के कारण कभी लागू नहीं किया जा सका है। उत्तराखंड ने इसे लागू करके एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जो भारत के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
उत्तरकाशी
यूसीसी के ड्राफ्ट को मान्यता देने पर विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का जश्न और प्रशंसा एक तरफ, इसके विरोध में भी कुछ आवाजें उठी हैं। कुछ समुदायों और संगठनों ने इसे अपने धर्म और संस्कृति के खिलाफ बताया है और इसका विरोध करने के लिए आंदोलन और प्रदर्शन करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यूसीसी उनके अधिकारों और स्वाधीनता को हानि पहुंचाएगा और उन्हें एक निर्धारित ढांचे में बांधने की कोशिश करेगा। उन्होंने सरकार से इस बिल को वापस लेने और अपने समुदायों की बात सुनने की मांग की है।
इस प्रकार, उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को मान्यता देने का फैसला एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है, जिसपर विभिन्न मत और रुख हैं। इसके पक्ष और विपक्ष के बीच एक संतुलित और समझदारी से चर्चा और समझौता की जरूरत है, ताकि इसके लाभ और हानि का एक सही आकलन किया जा सके और इसके अनुसार एक निष्कर्ष निकाला जा सके। इसके लिए, सरकार, समाज, धर्म, विधि और मीडिया के सभी प्रतिनिधियों को एक साथ आकर एक सार्थक और शांतिपूर्ण बातचीत करनी होगी, जिससे कि इस मुद्दे को एक राष्ट्रीय स्तर पर लाया जा सके और इसका एक समाधान ढूंढा जा सके।