गढ़वाली भाषा का संरक्षण हो पहली प्राथमिकता -नरेंद्र कठैत

मंचासीन गढ़वाली साहित्यकार;

पौड़ी। उत्तराखंडी साहित्य गौरव सम्मान “भजनसिंह ‘सिंह” से सम्मानित साहित्यकार नरेंद्र कठैत ने कहा कि गढ़वाली भाषा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए उसका संरक्षण करना जरूरी है।

 

उन्होंने कहा कि गढ़वाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने की मुहिम से ज्यादा भाषा का संरक्षण ज्यादा जरूरी है। पौड़ी मुख्यालय में गढ़कला सांस्कृतिक संस्था व पर्वतीय रंगमंच के संयुक्त तत्वावधान में सम्मानित साहित्यकार नरेंद्र कठैत का अभिनंदन किया गया। स्थानीय जिला पंचायत सभागार में आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए गढ़वाली के वरिष्ठ साहित्यकार बीरेंद्र पंवार ने कहा कि सही व्यक्ति को सही समय पर सम्मानित किया जाना गौरव की बात है।

 

नरेंद्र कठैत गढ़वाली भाषा के लिए समर्पित और हर पक्ष पर सबसे अधिक लिखने वाले साहित्यकार का नाम है। उन्हें सम्मानित किए जाने से गढ़वाली  भाषा के नये लिख्वारों को भी प्रेरणा मिलेगी। साहित्यकर्मी अद्धैत बहुगुणा ने कहा कि आज के दौर में साहित्य सृजन किसी चुनौती से कम नहीं है। शासक कलम पर हुकूमत करने पर तुल गया है। सच्च लिखने पर सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है।

 

सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा लगा दिया है। स्वागत समारोह को महिला नेत्री सरिता नेगी , संस्कृति कर्मी त्रिभुवन उनियाल, कवियत्री अंजलि डुडेजा, डॉ वीपी बलोधी पत्रकार जगमोहन डांगी, रमन रावत आदि ने संबोधित किया। संचालन योगम्बर पोली ने किया।

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