किसानों के काम नहीं आ रही नहरें, रबी फसलें बुवाई के बाद बारिश नहीं होने से हुईं खराब
सूखे की मार सह सहे किसानों के काम मुसीबत के समय करोड़ों की धनराशि खर्च कर बनाई गयी सिंचाई नहरें नहीं आ रही हैं। जिले में 800 से अधिक नहरों में अधिकांश बंद हैं कई नहरें जो ठीक हैं उनमें भी पानी नहीं चलता। पिथौरागढ़ जिले में रबी की फसल बुवाई के बाद से ही बारिश नहीं होने से खराब हो रही है। 65 हजार से अधिक किसान जिले में मौसम की मार सह रहे हैं।
जिले में 28 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में रबी की फसल बोई गयी है। बुवाई के बाद से ही बारिश नहीं होने से किसान सूखे की मार झेलने को विवश हैं।जनपद में किसानों की मौसम पर निर्भरता कम करने के लिए करोड़ों की धनराशि खर्च कर 1891 से अधिक सिंचाई की योजनाएं बनाई गयी हैं। इसमें से 800से अधिक सिंचाई नहरें बंद हैं। 200 से अधिक नहरों में निर्माण के बाद से ही पानी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाया। पिछले 10 साल में कई योजनाएं रखरखाव के अभाव में दम तोड़ गई हैं।
इस तरह हालत यह हो गई है कि जिले में हर तरफ पानी के स्रोत होने के बावजूद सिंचाई विभाग किसानों को राहत देने में विफल साबित हो रहा है। जिले में लघु सिंचाई विभाग के आंकड़ों के अनुसार केवल 1 हजार 28 हेक्टेयर क्षेत्र में 989 योजनाओं से किसानों को सिंचाई की सुविधा दी जा रही है। 2 किमी लंबी नहर नहीं आ रही है लोगों के काम झूलाघाट- मिरपानी बनाडा नहर 2 किलोमीटर लंबी है।
यह नहर एक दशक पूर्व बनाई गयी। 5 साल पहले इसका सुधारीकरण किया गया। इसके बाद भी नहर लोगों के काम नहीं आ रही है। इस नहर में पानी नहीं चलने से बनाड़ा, जामीरपानी, बिरखम के किसानों को मौसम की मार सहनी पड़ रही है। गणेश राम ने कहा कि इस समय नहर में पानी चलता तो सूखे की दिक्कत नहीं होती। कहा कि खेती से लोग आजीविका चलाते थे। पानी नहीं होने से अब खेत बंजर हो रहे हैं। मजीरकांडा की प्रधान किरन भट्ट ने कहा कि नहर बना दी गई है, लेकिन पानी का स्रोत नहीं है।
खेतार कन्याल के लोगों को भी नहीं मिल रहा नहरों का लाभडीडीहाट- खेतार कन्याल में लघु सिंचाई एवं सिंचाई विभाग की लगभग 6 नहरें लंबे समय से बंद पड़ी हुई है, जिससे क्षेत्र के कई गांवों के किसानों को सिंचाई की सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है क्षेत्र पंचायत सदस्य ढूंगेती बबीता महरा ने बताया ढूंगेती पंचायत क्षेत्र में लघु सिंचाई एवं सिंचाई विभाग की 12 से ज्यादा नहरें बंद हैं कहा कि इन नहरों में पानी चलता तो किसानों को मौसम की मार से बचाया जा सकता था।
गांव में चारों तरफ से पानी हैं, दो नहरें हैं जो बंद पड़ी हैं। नहरों के काम नहीं आने से किसानों को दिक्कत हो रही है। हर बार किसान मौसम की मार झेलने को मजबूर हैं।
निर्मल जोशी, प्रधान मझेड़ा, समोला।
आपदा में नहर क्षतिग्रस्त हो गई थी। तब से यह नहर हमारे यहां के किसानों के काम नहीं आ रही है। नहर को ठीक कर किसानों को राहत दी जानी चाहिए। -महेश कन्याल, ग्राम प्रधान- खेतार कन्याल।कई बार मांग करने के बाद भी नहरों को ठीक नहीं किया गया है। बारिश नहीं होने के कारण किसान परेशान हैं, बंद व क्षतिग्रस्त नहरें लोगों को चिढ़ाने का काम कर रही हैं। – बहादुर सिंह, किसान,
सेविलाकिसान सूखे की मार झेल रहे हैं। नहरों में पानी चलता तो किसानों को राहत मिलती। सिंचाई की व्यवस्था को कोई इंतजाम नहीं किए गये हैं। इससे किसानों को दिक्कत हो रही है। – पूरन जोशी,सेरा सुराएधाईप्रमुख नहरें जहां नहीं चल रहा पानी: झूणी तुलानी, सेरा सुराई धार नहर,लंकार क्वाधार गूल, सेरा गुल,सेविला गुल, डाडा बीसा गुल, बला नहर,कारलोगाड मझेड़ा, रतवाली हैं।जनपद में जो सिंचाई योजनाएं बंद हैं। वे अधिकतम 20 साल की उम्र पूरी कर चुकी हैं। अब कई जगह चैक डेम की योजनाएं प्रस्तावित हैं, कई जगह काम चल रहा है। जिसके बाद योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा।