
संदीप बिष्ट
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सुभाष रोड स्थित होटल में आयोजित ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के अवसर पर देश के विभाजन के दौरान अपने प्राण गंवाने वाले लोगों को नमन करते हुए विभाजन की विभीषिका का दर्द सहन करने वाले तमाम सेनानियों के परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
कहा कि देश के विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को जब हम आजादी का जश्न मना रहे थे वहीं दूसरी ओर देश के विभाजन का भी दुःख और दर्द सहन कर रहे थे। स्वतंत्रता आंदोलन के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए भारत दो टुकड़ों में विभक्त हुआ जिससे लाखों लोग इधर से उधर हुए तथा परिवार, घर-बार छूटा और लाखों लोगों ने अपनी प्राण गवाए। कहा की भारत के लिए यह घटना किसी विभीषिका से कम नहीं थी। वर्ष 2021 में विभीषिका के इसी दर्द को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को ’’विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ मनाने का निर्णय लिया। तब से आजतक यह दिन मनाया जा रहा है, जिससे हम अपने उन लाखों सेनानियों व परिवारजनों से बिछड़े लोगों के बलिदानो को याद कर सके।
कहा की यह दिन उन सभी सेनानियों की समृति के लिए समर्पित है जिन्होंने भारत माँ के लिए क़ुरबानी दी । भारत के बंटवारे ने सामाजिक एकता, सामाजिक सदभाव और मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया था। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम देश को स्वतंत्र कराने वाले और देश के विभाजन की यातनाएं झेलने वाले मां भारती के प्रत्येक सपूत के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करें।
मुख्यमंत्री ने विभाजन की विभीषिका को इतिहास का काला अध्याय तथा दुनिया का सबसे बडा विभाजन बताते हुऐ कहा कि लाखों लोगों ने अपनी जान गवाकर विभाजन के साथ विस्थापना का दर्द झेला। उन्होंने विभाजन विभीषिका की पीड़ा सह चुके लोगों को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में सहयोगी बताते हुए कहा की देश विभाजन के दौरान हुई दर्दनाक एवं हिंसक घटनाओं ने मानवता को ही शर्मसार नहीं किया बल्कि हिंसा का वह अमानवीय तांडव ने कभी न भरने वाला घाव दिया। जिसकी टीस आज भी हम सब भारतियों को महसूस होती है। यह दिवस हमेशा हमारी भावी पीढ़ी को इतिहास की उस विभीषिका से परिचित कराता रहेगा। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी की गत वर्ष रूद्रपुर में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम में विभाजन विभीषिका स्मृति स्मारक बनाये जाने की घोषणा का कार्य प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री ने बांगलादेश से मजबूरन हो रहे पलायन की घटना की तुलना वर्ष 1947, 1971 से करते हुए कहा की हम सभी को बांगलादेश के हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की चिंता करनी है। कटाक्ष करते हुए कहा की देश में छोटी छोटी घटनाओं पर विरोध करने तथा मानवाधिकार का रोना रोने वाले न जाने आज कहाँ खोए हुए है। आज वह लोग पूर्ण रूप से पर्दे से गायब है इसलिए हमे सजग और सतर्क रहने के साथ ऐसे बेईमानों की पहचान करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाजन का पीड़ा झेलने वालों ने अपनी प्रबल इच्छा शक्ति तथा कौशल के बल पर देश व प्रदेश के विकास में अहम योगदान दिया है। उनका यह योगदान अविस्मरणीय है। मुख्यमंत्री ने ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ कार्यक्रम से पूर्व कार्यक्रम स्थल पर विभाजन विभीषिका से संबंधित फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
कार्यक्रम में उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति डॉ देवेन्द्र भसीन, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण समिति विश्रवास डाबर, भाजपा महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल, उद्यमी राकेश ओबेराय तथा अपने बचपन में विभाजन की विभीषिका का सामना करने वाले डॉ कुलदीप दत्त, तथा किशन लाल बिज ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर विधायक खजान दास, उमेश शर्मा काऊ, सविता कपूर, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, अनिल गोयल, संतोश नागपाल, डी.एस.मान, नीरज कोहली सहित बडी संख्या में विभिन्न संस्थाओं से जुडे लोग तथा समाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।