चिन्हित जल स्रोतों एवं नदियों का जिओ – हइड्रोलॉजिकल अध्ययन और नियमित समीक्षा करें अधिकारी : अपर मुख्य सचिव
संदीप बिष्ट
देहरादून। अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (SARRA), उत्तराखण्ड की 11वी जनपद एवं अर्न्तविभागीय के साथ समीक्षा बैठक की। अपर मुख्य सचिव ने सभी सम्बंधित अधिकारियों को प्राकृतिक जल स्रोतों, नौलों – धारो और नदियों के संरक्षण एवं उन्हें पुनर्जीवित करने की बेहतर एवं प्रभावी कार्य योजनाएं बनाकर शासन को भेजने के निर्देश दिए।उन्होंने जिले के सभी विभागों को बेस्ट प्रैक्टिस अपनाते हुए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जल स्रोतों के संरक्षण हेतु लघु एवं दीर्घ कालीन नीतियों पर कार्य करने तथा संबंधित क्षेत्र के अत्यधिक महत्वपूर्ण, जल स्रोतों का संरक्षण एवं पुनर्जीवीकरण को शीर्ष प्राथमिकता में रखते हुए कार्य को कहा।
अपर मुख्य सचिव ने चिन्हित किए गए जल स्रोतों एवं नदियों का जिओ – हइड्रोलॉजिकल अध्ययन तथा उनकी नियमित समीक्षा के साथ-साथ सभी जिला अधिकारियों को जिलों के विभिन्न स्थानों पर बनाए गए अमृत सरोवर के ग्राउंड वेरिफिकेशन कराने के निर्देश दिए। कहा की सारा से संबंधित कार्य योजनाओं में सभी संबंधित विभाग आपसी सहयोग से जल संरक्षण के कार्य करें तथा किसी भी प्रकार की समस्या आने पर तुरंत शासन में संबंधित विभाग को अवगत करवाएं।
साथ ही कहा कि सारा के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों की जियो – टैगिंग अनिवार्य रूप से हो और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भू-जल रिचार्ज के दृष्टिगत प्रस्तावित कार्यों को तेज़ी लाए, वर्षा आधारित सहायक नदियों / धाराओं की उपचार योजनाओं का निरूपण वैज्ञानिक विधि से किया जाए,ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित जल स्रोतों का सतत् रूप से अनुरक्षण सामुदायिक सहभागिता से सुनिश्चित किया जाए।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (SARRA) नीना ग्रेवाल ने बैठक के दौरन जानकारी दी कि राज्य में ग्राम स्तर पर 5421 जल स्रोतों, विकासखण्ड स्तर पर 929 क्रिटिकल सूख रहे जल स्रोत, एवं जनपद स्तर पर 292 सहायक नदियों / धाराओं के उपचार गतिविधियां संचालित हैं। इस प्रकार कुल 6350 चिन्हित जल स्रोत का उपचार कार्य गतिमान है। कहा कि जल संरक्षण अभियान 2024 के अंतर्गत 2.51 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी को रिचार्ज करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष लगभग 2.38 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी रिचार्ज हुआ है।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जानकारी दी कि जिला समिति द्वारा निरूपित योजनाओं में 50 प्रतिशत SARRA द्वारा प्रदत अंश के रूप में दिया जायेगा तथा शेष 50 प्रतिशत सम्बन्धित कार्यदायी संस्था / विभागों द्वारा कन्वर्जेंस के माध्यम से वित्त पोषण द्वारा किया जायेगा। क्रिटिकल जल स्रोतों का रिचार्ज जोन / क्षेत्र, जियो- हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन उपरांत ही निर्धारित किया जायेगा। कहा कि क्रिटिकल जल स्रोतों के चिन्हीकरण और उपचार हेतु सारा द्वारा पेयजल निगम, जल संस्थान, सिंचाई , लघु सिंचाई, वन विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है।
साथ ही जानकारी दी कि जल संस्थान एवं जल निगम द्वारा पेयजल आपूर्ति हेतु मह्त्वपूर्ण चिन्हित लगभग 500 जल स्रोतों, जिनमे विगत वर्षों में जल प्रवाह 50 प्रतिशत से भी कम हो चुका है, ऐसे जल स्रोतों के उपचार हेतु स्प्रिंगशेड विकास के कार्य, वैज्ञानिक अवधारणा के अनुरूप किए जाने हेतु जल निगम, जल संस्थान एवं वन विभाग को निर्देश दिए गए हैं। इस हेतु SARRA द्वारा भी कन्वर्जेन्स हेतु आवश्यक धनराशि विभागों को उपलब्ध करायी जायेगी।
इस अवसर पर अपर सचिव नमामि बंसल, अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान तथा वर्चुअल माध्यम से विभिन्न जिलों के जिला अधिकारी एवं अन्य अधिकारी जुड़े रहे।