कानून चाहिए या जिंदगी? : इस सवाल का जवाब देकर प्रयागराज की स्मृति मिश्रा बनीं IAS, देश में हासिल की चौथी रैंक

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार को सिविल सेवा 2022 परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है। इसमें टॉप-4 रैंक तक बेटियों ने ही बाजी मारी है। ग्रेटर नोएडा की इशिता किशोर ने पहला रैंक हासिल किया है। दूसरे स्थान पर गरिमा लोहिया और तीसरे स्थान पर उमा हरथी एन हैं। चौथे स्थान पर प्रयागराज की स्मृति मिश्रा हैं। ‘अमर उजाला’ डॉट कॉम ने स्मृति से विशेष बातचीत की। स्मृति से इंटरव्यू में काफी कठिन और रोचक सवाल पूछे गए थे। आइए जानते हैं कैसे स्मृति ने सफलता हासिल की..

 

पिता बरेली में डीएसपी, स्मृति बोलीं- मैं भी पापा की तरह लोगों की सेवा करना चाहती थी
स्मृति मिश्रा के पिता राजकुमार मिश्रा बरेली में सीओ सेकेंड के पद पर तैनात हैं। राजकुमार मिश्रा ने इंस्पेक्टर से डीएसपी तक का सफर तय किया है। स्मृति कहती हैं पिता लोगों की खूब मदद करते हैं। मैं भी उनकी तरह जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहती थी। महिलाओं को उनका हक दिलाना चाहती थी। इसलिए मैंने शुरू में ही तय कर लिया था कि मुझे आईएएस अफसर बनना है।स्मृति की मां अनीता मिश्रा गृहणी हैं। स्मृति बताती हैं कि मां ने भी हमेशा मुझे आगे बढ़ाया। मुझे हौसला दिया। आज मैं जो कुछ भी हूं वो मेरी मां और मेरे पिता की वजह से। दोनों ने मुझे हर कदम पर साथ दिया। उस वक्त भी जब मुझे लग रहा था कि मैं यूपीएससी नहीं कर पाऊंगी।

आगरा से स्कूलिंग, डीयू से स्नातक 
स्मृति ने आगरा से 12वीं तक की पढ़ाई की है। इसके बाद वह दिल्ली आ गईं। यहां मिरिंडा कॉलेज से उन्होंने बीएससी की पढ़ाई की। अब डीयू से ही लॉ की पढ़ाई कर रहीं हैं। स्मृति मिश्रा कहती है, ‘मैंने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि मुझे आठ घंटे पढ़ना है या 10 घंटे। मैं हमेशा टॉपिक तय करती थी। उसी के हिसाब से आगे पढ़ाई करती थी। मेरा फोकस रहता था कि आज मुझे ये टॉपिक खत्म करना है। उसी के हिसाब से मैं पढ़ाई करती थी।’ स्मृति आगे कहती हैं, ‘पढ़ाई पर फोकस करने के लिए मैंने सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली थी। केवल व्हाट्सएप के जरिए ही अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से जुड़ी रहती थी।’

दूसरे प्रयास में जब सफल नहीं हुई तो उम्मीद ही छोड़ दी थी
स्मृति कहती हैं, दूसरे प्रयास में जब मैं प्री क्वालीफाई नहीं कर पाई तो मैं टूट सी गई थी। मुझे लगा कि मैं यूपीएससी नहीं कर पाऊंगी। उस वक्त मेरे सीनियर्स ने मुझे हौसला दिया। तब मैंने फिर से तैयारी शुरू की, लेकिन पर्सनली अटैच नहीं हो पाई। लेकिन इस बार मुझे बेहतरीन सफलता मिल गई। मैं खुश हूं। स्मृति ने कहा, ‘जब कोरोना के समय लॉकडाउन था, तब मैंने उस समय का भरपूर उपयोग अपनी तैयारियों में किया। मैंने ऑनलाइन कोचिंग की और खुद से पढ़ाई की।’

इस सवाल का जवाब देकर आईएएस बन गईं स्मृति
स्मृति से इंटरव्यू के दौरान कई रोचक सवाल पूछे गए। चूंकि स्मृति प्रयागराज से थीं, इसलिए उनसे कुंभ मेले को लेकर सवाल किया गया। पूछा गया कि कुंभ मेले का कैसे आयोजन होता है? कैसे इतनी भारी भीड़ को मैनेज किया जाता है? स्मृति अभी लॉ की पढ़ाई कर रहीं हैं। ऐसे में उनसे पूछा गया कि अगर आपको कानून और जिंदगी में से कुछ एक चुनना हुआ तो आप क्या चुनोगे? इस सवाल का स्मृति ने भी बड़े ही अलग अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘लोगों की जिंदगी बेहतर हो। लोग अपनी जिंदगी को एंज्वॉय कर सकें, इसलिए कानून बनाया जाता है। इसलिए मैं कानून का ही चयन करूंगी। कानून से लोगों की जिंदगी बेहतर और सरल हो जाती है।’

IAS बनकर क्या करने का है सपना? 
स्मृति कहती हैं, ‘जब भी मेरी पोस्टिंग होगी, तो मैं लोगों की खूब मदद करूंगी। खासतौर पर महिलाओं के लिए काम करूंगी। छोटे शहरों और कस्बो में आज भी महिलाओं को हक नहीं मिलता है। इसलिए उनके लिए मैं काम करूंगी।’
  • Rekha Negi

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