उत्तराखंड क्रांति दल ने 2000 से ही मूल निवास 1950 लागू करने की मांग की है। सोमवार को यूकेडी महानगर ने इसके लिए दीन दयाल पार्क में धरना दिया। इस दौरान दल के संरक्षक एनपी जुयाल ने कहा कि उत्तराखंड में 2000 से पूर्व मूल निवास प्रमाण पत्र मिलता था। लेकिन 2001 के बाद नई सरकार ने नई निवास प्रमाण पत्र की व्यवस्था बनाकर यहां पर स्थाई निवास प्रमाण पत्र दिया जाने लगा ।
इस व्यवस्था से बाहर से आने वाले लोगों तथा मूल निवासियों को एक ही श्रेणी में रखा गया। जिससे मूल निवासियों के हक में होने वाली नौकरियां एवं अन्य योजनाओं का लाभ राज्य से बाहर के लोग उठने लगे हैं। जबकि राज्य का मूल निवासी ठगा महसूस करने लगा है। दल के केंद्रीय महामंत्री विजय बौड़ाई ने कहा कि मूल निवासियों की कई पीढिय़ां यहां निवास कर करती आ रही हैं। इसके बाद भी उन्हें मूल निवास नहीं मिल रहा है।
जिससे उत्तराखंड के बच्चों को अपना अधिकार नहीं मिल रहा है,अपने ही राज्य में उनकी पहचान पर संकट हो गया है।
केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रमीला रावत ने कहा कि मूल निवासियों को रोजगार, शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वाणिज्यिक उद्योगों तथा राज्य की सभी योजनाओं एवं नीतियों का लाभ मिल सके इसलिए मूल निवास 1950 लागू किया जाना अति आवश्यक है।
युवा प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि देश के संविधान लागू होने के साथ वर्ष 1950में जो व्यक्ति जिस राज्य का निवासी था ,वो उसी राज्य का मूल निवासी होगा।
इस दौरान सैनिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष चंद्रमोहन सिंह गडिय़ा,केंद्रीय कोषाध्यक्ष प्रताप कुंवर, एपी जुयाल, जयप्रकाश उपाध्याय, प्रमिला रावत, प्रताप कुंवर, विजय बौड़ाई,पूर्व प्रमुख जयपाल सिंह पंवार , शांति प्रसाद भट्ट,अशोक नेगी, राजेन्द्र सिंह बिष्ट,गीता बिष्ट, जबर सिंह पावेल,अनिल थपलियाल, प्रीति थपलियाल, आशा शर्मा,राजेश्वरी रावत,विपिन रावत,बृजमोहन सजवान, चंद्रमोहन गाडिय़ा,धर्मवीर नेगी,राजेंद्रप्रधान, दीपक रावत,देव चंद उत्तराखंडी, , रविंद्र ममगाई, तरुणा जगुड़ी, सरोज कश्यप,कुसुम देवी, रामपाल, राजेश ध्यानी, डीडी पंत,दिनेश प्रसाद सेमवाल,योगी पंवारआदि मौजूद रहे।