भगवान शिव की पत्नी बनने से पहले माता पार्वती को करनी पड़ी थी कठोर तपस्या

महताब खान चांद

उनका जन्म इस उद्देश्य से हुआ था कि वह भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त कर सके इसलिए युवा अवस्था में ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या करने का संकल्प लिया था और कठोर तपस्या उपवास व्रत रखकर साधना में लीन होकर शिव अराधना की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपनी विशेष कृपा बनाई वहीं माता पार्वती ने काफी वर्षों तक बिना भोजन बिना जल के तपस्या करते हुए केवल बेलपत्र और धतूरा खाकर अपनी तपस्या जारी रखा उनकी तपस्या इतना कठोर तपस्या थी कि धरती पर सूखा और अकाल पड़ने लगा माता पार्वती की अटूट भक्ति और तपस्या से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उनके समर्पण को स्वीकार कर लिया और स्वयं प्रकट होकर अपनी पत्नी स्वीकार कर लिया और दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ जों पूरे ब्रह्माण्ड में धूमधाम से मनाया गया जिसके वर्णन अनेक धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है

इसके लिए ही सावन मास में भगवान शिव माता पार्वती के लिए विशेष महत्व है और विशेष रूप से पूजा अर्चना जलाभिषेक का महत्व है इसलिए सावन मास में दोनों को प्रसन्न करने के लिए पुरे महीने विशेष पूजा अर्चना करते हुए बेलपत्र धतूरा सफेद फूल फल चंदन आदि अर्पित कर कथा भजन कीर्तन करते हुए दूध और जल से जलाभिषेक करे और अधिक धर्म लाभ उठाते हुए भगवान शिव माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए धार्मिक पौराणिक कथाओं को पढ़ कर दूसरे लोगों को भी सुनाए यही सावन मास का महत्व है

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