संदीप बिष्ट
देहरादून। दून विश्वविद्यालय में छात्राओं ,शिक्षकों और महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर जागरूकता और कौशल विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रोग्रेसिव यूनिवर्स आफ एन एल पी और सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसायटी के संस्थापक डॉ पवन शर्मा (द साइकेडेलिक) ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को बताया कि दो में से एक महिला कर्मचारी अपने कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न को किसी ना किसी रूप में अनुभव करती है। उन्होंने जानकारी दी की उत्पीड़न भिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे, मौखिक, शारीरिक, मानसिक, ऑनलाइन आदि। उत्पीड़न की शिकार महिला कर्मचारी को तनाव, हताशा, अवसाद, चिंता, कुंठा, आघात, शर्मिंदगी, जैसी कई मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता जिसके कारण उनके पेशेवर उत्पादन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । डॉ. पवन शर्मा ने ऐसी परिस्तिथियों से बचने और इस प्रकार की घटनाओं के आघात से उबरने के लिए मानसिक उपायों को भी बताया। साथ ही कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न के बचाव कानून (पॉश ऐक्ट) 2013 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा की पेशेवर शैक्षणिक संस्थानों का माहौल पेशेवर कोर्स करने वाले छात्रों को कार्यक्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
बता दें की फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसायटी महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के बचाव के लिए निशुल्क कानूनी सलाह और मदद प्रदान करती है।
कार्यशाला में प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल, डॉ चेतना पोखरियाल, डॉ सविता कर्नाटक ने कार्यक्रम के आयोजन और समन्वय प्रबंध किया तथा सौरभ जोशी और प्रीति जोशी ने सहयोग प्रदान किया ।
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