उत्तराखंड में प्रतिवर्ष 1700 से अधिक लोग करते है आत्महत्या
संदीप बिष्ट
देहरादून। विश्व आत्महत्या निषेध दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी ने आत्महत्या की रोकथाम के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में संस्था अध्यक्ष और मनोवैज्ञानिक डॉ. पवन शर्मा ने आत्महत्या से जुड़ी जानकारियां दी और आत्मघाती विचारों से पीड़ित व्यक्ति को पहचानने के गुर बताये। डॉ. शर्मा ने जानकारी दी की आत्महत्या किसी महामारी से कम नहीं है और विश्व भर में करीब 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं और लगभग हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। कहा की उत्तराखंड में प्रतिवर्ष 1700 से अधिक लोग आत्महत्या करते है। जो प्रतिदिन के 4 से 5 के औसत के बीच है। वहीँ आँकड़ों के अनुसार अकेले देहरादून में हर साल लगभग 200 से अधिक लोग आत्महत्या कर रहे हैं।
आत्महत्याओं करने वालों में ज्यादातर पुरुष हैं जो बाहर से सख्त बने रहकर अपनी भावनाओं को सही तरह से संतुलित नहीं कर पाते है । अक्सर गम्भीर बीमारी, पारिवारिक कलह, आर्थिक कमजोरी, मानसिक विकार, परीक्षा में असफ़लता, तनाव, हताशा, थकान, कुंठा, गुस्सा, अकेलापन, और बर्दाश्त ना कर सकने के कारण व्यक्ति ऐसे कदम उठाता है। आत्महत्या करने वालों में 95 प्रतिशत की उम्र 12 से 40 के बीच होती है, इनमे 12 से 28 वर्ष के व्यक्ति लगभग 70 प्रतिशत होते हैं।
आत्महत्या से बचाव के लिए उन्होंने उपाय बताया कि अकेलेपन से बचें, लोगों के बीच अधिक समय बिताएं, परिवार के साथ बैठ कर परेशानी का हल निकालें, गुस्से पर काबू रखें, अपने आप को खुश रखें और खुशनुमा माहौल में रहें, अपने रुझान के कार्यो को जरूर करें, अधिक तनाव से बचें, रिश्तों को बेहतर तरीके से निभाए और संतुलन रखे, अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उस पर अधिक काम करें। बता दें की फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी नि:शुल्क मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे परामर्श, थेरेपी कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती है।