संदीप बिष्ट
देहरादून। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा चलाये जा रहे आत्महत्या निषेध अभियान के तहत तुलास इंस्टिट्यूट सेलाकुई , देहरादून के छात्रों और शिक्षकों के लिए जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मनोवैज्ञानिक डॉ.पवन शर्मा (द साइकेडेलिक) ने इंस्टिट्यूट के छात्रों और शिक्षकों को आत्महत्या से बचाव पर कई ज्ञानवर्धन जानकारियां दी।
उन्होंने प्रतिभागियों को जानकारी दी की किस प्रकार आत्महत्या की भावना व्यक्ति के मन पर हावी हो जाती है , जिसकारण वह अपना बहुमूल्य जीवन समाप्त करने को बाध्य हो जाता है। कहा की विश्व भर में प्रतिवर्ष सात लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं, जिसका अर्थ है की लगभग हर 40 सेकेंड में एक आत्महत्या हो रही है। कहा की उत्तराखंड राज्य में भी ये आंकड़ा प्रतिवर्ष 1700 से अधिक है, जिसमे प्रतिदिन लगभग 4 से 5 व्यक्ति आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं, जो बेहद गम्भीर और चौकाने वाले आँकड़े है है। आत्महत्या करने में पुरुषों की संख्या महिलाओं से कहीं अधिक है जिसका मुख्य कारण पुरुषों का अधिक मजबूत होने का प्रदर्शन तथा सख्त मर्दानगी जैसी भ्रमित करने वाली मानसिकता का होना भी है। डॉ. पवन शर्मा ने आत्महत्या से बचाव के लिए व्यस्त रहने, अकेलेपन से दूर रहने , लोगों के साथ मिलने जुलने, अधिक तनाव, उदासी, और नशे तथा ड्रग से बचने की सलाह दी। साथ ही कहा की आजकल की व्यस्त जीवन शैली अपनाकर आत्मघाती प्रवृत्ति से बचा जा सकता है। आत्महत्या के ज्यादातर कारणों में लंबे समय से खराब स्वास्थ्य, खराब अर्थिक स्थिति , खराब रिश्ते, असफल प्रेम संबंध, परीक्षा में असफल होने का डर आदि है। उन्होंने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए सवालों और जिज्ञासाओं के उत्तर देते हुए मानसिक चुनौतियों से जुझ रहे व्यक्ति की मदद करने के गुर भी सिखाये।
वहीँ संस्था सदस्य सुनिष्ठा सिंह और शिवाजी बनर्जी ने छात्रों के पढ़ाई और परीक्षा के तनाव से बचने के उपाय बताये। कार्यक्रम में डॉ. प्रेरणा बडोनी, डॉ. सुगम गुप्ता, बबीता शर्मा, गीतिका शर्मा और नैनसी आदि मौजूद रहे।