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कलाकारों ने किया पौड़ी प्रेक्षाग्रह में हास्य नाटक चकड़ैत का मंचन

संदीप बिष्ट
पौड़ी। प्रेक्षागगृह पौड़ी में संवाद आर्ट ग्रुप पौड़ी और दिल्ली की टीम द्वारा हास्य नाटक चकड़ैत का मंचन किया गया। हास्य नाटक का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला सूचना अधिकारी वीरेंद्र सिंह राणा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
हास्य नाटक चकड़ैत द्वारा बच्चों को दी जाने वाली वास्तविक जीवन में महत्वहीन शिक्षा पर कटाक्ष किया गया है।
नाटक के दृश्य :
एक लड़का 28 वर्ष बाद अपने विद्यालय आता है और गुरु जी से कहता है कि वह जीवन मैं सफल नहीं हो पा रहा है। कहता है की विद्यालय द्वारा दी गई शिक्षा से रोजगार नहीं मिल रहा है इसीलिए पढ़ाई- लिखाई में खर्च किया गया सारा पैसा ब्याज सहित वापस लेने की माँग करता है। उसका आरोप है की विद्यालय ने गलत शिक्षा देकर एक खराब प्रोडक्ट तैयार किया है।
उस लड़के की स्कूल मैनेजमेंट से बहुत बहस होती है अंत में लड़के की दोबारा परीक्षा होती है। जिसमें लड़का कोशिश करता है कि वह फेल हो जाए ताकि उसके पैसे वापस मिल सके, जबकि स्कूल मैनेजमेंट प्लान बनाता है कि लड़के को किसी भी हालात में पास किया जाए ताकि पैसे वापस न देने पड़े।
लड़के की कई विषयों की परीक्षा होती है जिसमें लड़का जानबूझकर खराब आंसर देता है ताकि वह फेल हो जाए लेकिन स्कूल मैनेजमेंट उसमें से ही कुछ ऐसा तोड़ निकाल लेते हैं कि लड़के को हर सब्जेक्ट में एक्सीलेंट नंबर मिल जाते हैं। अंत में गणित की परीक्षा होती है जिसमें लड़के से सबसे आसान और सबसे कठिन दो तरह के प्रश्न किए जाते हैं सबसे आसान सवाल का लड़का गलत जवाब देते हुए कहता है कि वह फेल हो गया और अब उसे सारे पैसे ब्याज सहित वापस चाहिए।
नाटक के आगे के दृश्य में स्कूल मैनेजमेंट उस लड़के के कितने पैसे बनते है लिखित देने को कहता है। लड़का अपनी शुरू से पढ़ाई लिखाई, ड्रेस, इधर-उधर सभी खर्चों में ब्याज सहित जोड़कर दे देता है। स्कूल मैनेजमेंट चालाकी करते हुए कहता है की तुम तो बहुत काबिल हो, जीनियस हो क्योंकि तुमने इतने कठिन हिसाब- किताब को ब्याज सहित सही दिया है और यही हमारा दूसरा कठिन प्रश्न था इसलिए स्कूल मैनेजमेंट तुम्हे फ़ैल नहीं कर सकता है।
इस प्रकार से नाटक के अंत में लड़के को कुछ भी नहीं मिलता है और स्कूल मैनेजमेंट की चित भी अपनी, पट भी अपनी हो जाती है। इस दौरान मुख्य अतिथि वीरेंद्र सिंह राणा ने कहा कि यदि हम सभी अपने जीवन में प्राप्त की गई शिक्षा के बारे में अवलोकन करेंगे तो वास्तव में सभी को लगेगा कि जीवन में हमें बहुत सी ऐसी विषय पढ़ाये गए है जिनका वास्तविक जीवन से कोई भी नाता नहीं रहा है।
जिला सूचना अधिकारी ने कहा कि शिक्षा जीवन से सीधी जुड़ी , प्रासंगिक, व्यावहारिक और जीविका चलाने वाली होनी चाहिए। साथ ही पाठ्यक्रम में जीवन से जरूरी तालुक रखने वाले विषय जैसे जीवन जीने योग्य फाइनेंस एजुकेशन, तकनीकी शिक्षा, आर्ट ऑफ लिविंग, सामाजिक व्यवहार , मेडिटेशन यथा पर्सनैलिटी डेवलपमेंट इत्यादि विषयों को जरूर शामिल किया जाना चाहिए।

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