
एसडीसी फाउंडेशन का प्लास्टिक बैंक अभियान समाज के अलग-अलग वर्गों में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। विभिन्न स्कूलों, अस्पतालों, यूनिवर्सिटी और सरकारी व प्राइवेट संस्थानों के बाद अब सैन्य छावनी और सैन्य बलों के परिवार भी इस अभियान से जुड़ रहे हैं। सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में देहरादून के गढ़ी कैंट कंटोनमेंट क्षेत्र में रहने वाले 4 हजार से ज्यादा सैन्य परिवारों के इस अभियान से जुड़ जाने की उम्मीद जताई गई है।
एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल के अनुसार बीते पांच जून को गढ़ी कैंट, देहरादून कंटोनमेंट क्षेत्र में उन्हें विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर भारतीय सेना द्वारा मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सैन्य अधिकारी, सैनिक और उनके परिवारों के सदस्य मौजूद थे।
कचरे की रीसाइक्लिंग की होगी व्यवस्था
उन्होंने इस मौके पर उत्तराखंड के समसामयिक विषयों को साझा करने के अलावा उपस्थित सैन्य परिवारों से अपने अपने घरों में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और उसे जमा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था की इस प्लास्टिक कचरे को एसडीसी फाउंडेशन अपने प्लास्टिक वेस्ट सेग्रीगेशन एंड लर्निंग सेंटर में सेग्रिगेट कर आगे इस कचरे की रीसाइक्लिंग की व्यवस्था करेगा ।
जारी रहेगा अभियान
अनूप नौटियाल के अनुसार इस अपील के बाद सैन्य अधिकारियों और सैनिकों के 100 से ज्यादा परिवारों ने अपने घरों में एकत्रित किया गया। प्लास्टिक कचरा कैंटोनमेंट क्षेत्र में स्थित महिंद्रा ग्राउंड में एसडीसी फाउंडेशन को हाल ही में सौंपा। इसके साथ ही अधिकारियों ने इस कार्यक्रम को कंटोनमेंट क्षेत्र में आगे भी लगातार जारी रखने की इच्छा जताई।
चार हजार परिवारों के और जुड़ने की उम्मीद
उन्होंने आश्वासन दिया कि क्षेत्र में रहने वाले सैन्य अधिकारियों, सैनिकों और कर्मचारियों के 4 हजार से ज्यादा परिवारों को इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने का प्रयास किया जाएगा। नौटियाल ने कहा कि जिस तेजी से प्लास्टिक कचरे का विस्तार हो रहा है, उसी तेजी से सरकार और समाज को प्लास्टिक कचरे को लेकर जागरूक होने की जरुरत है।
देहरादून में किए 135 प्लास्टिक बैंक स्थापित
नौटियाल ने कहा ऐसे माहौल में प्लास्टिक बैंक अभियान इस कचरे से निपटने का एक विकल्प साबित हो रहा है। एसडीसी फाउंडेशन ने अभी तक देहरादून में 135 प्लास्टिक बैंक स्थापित किये हैं और आने वाले दिनों में इस अभियान को जन आंदोलन बनाने की दिशा में और आगे बढ़ा जायेगा